विवेकानंद सिंह आपके सामने जब भी बचपन शब्द का जिक्र आता होगा तो पलभर के लिए आप फ्लैश बैक में जरूर चले जाते होंगे. दादी-नानी की किस्से-कहानियों की धुंधली-सी याद आंखों के आगे तैरने लगती होंगी, मन रोमांचित हो उठता होगा. दरअसल, आज हम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन यानी कि बाल दिवस मना रहे हैं. आप भी चाहें तो खुद के अंदर के बच्चे को भी ढूंढ़ने की कोशिश कर सकते हैं. सही मायने में उम्र जितनी छोटी होती है, संभावनाएं और सपने उतने ही बड़े होते हैं. यही कारण है कि हमें बच्चों के लिए अलग से दिवस निर्धारित करने की जरूरत पड़ गयी, ताकि कुछ देर के लिए ही सही भूत और भविष्य को ध्यान में रख कर हम वर्तमान हालात पर चर्चा कर सकें. साथ ही बच्चों को इस बात का एहसास दिलाया जा सके कि वे कितने खास हैं. कई बार यह भी विवाद का विषय बन जाता है कि हम बच्चा कहेंगे किसे? भारत की जनगनणा में 14 वर्ष से कम आयु के लड़के और लड़कियों को बच्चे की श्रेणी में रखा गया है. हालांकि, यूनाइटेड नेशंस कॉन्वेंशन ऑन द राइट ऑफ द चाइल्ड के मुताबिक, 18 वर्ष से कम उम्र की सभी लड़के-लड़कियां बच्...