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जुलाई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जिन्दगी धूप और छांव

समन्दर सभी को प्यासा रख देती है, खजूर और ताड़ के बड़े-बड़े वृक्ष राहगीरों को छांव नहीं दे पाते हैं। लेकिन "ये जिन्दगी" हमें सब कुछ दे सकती है, धूप, छांव, गम, खुशी न जाने और क्या-क्या? सुबह से ही मन थोड़ा बेचैन और दुखी था, तब और बहुत दुखी हो गया जब खबर सुनी कि नांदेड़ की तरफ जा रही एक पैसेंजर रेलगाड़ी और स्कूल बस के टक्कर से 19 बच्चों की जानें चली गई। उन छोटे-छोटे बच्चों की तस्वीरें जब मैंने फेसबुक पर देखी तो हृदय भाव विह्वल हो गया, आँखों से आंसू की धारा बह गई। उन बच्चों में मुझे मेरा बचपन दिख रहा था, जो उस समय तड़प और बिलख रहा था। मैं सोच से सागर में बार-बार डुबकी लगाने की कोशिश करता, लेकिन सागर मुझे हर बार प्यासा ही बाहर निकलने पर मजबूर कर देता। आखिरी किसकी गलती रही होगी? कई बार मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो मानव रहित फाटक ही नहीं, फाटक लगे होने पर भी अपनी साईकिल लिए या, पैदल उस पार निकल जाने की जल्दी में होते हैं। उस समय उसकी नादानी पर खीज़ और गुस्सा तो आता ही था। मन ही मन बूदबूदा भी देता था, चढ़ जाए तब पता चलेगा। इस पल की खामोशी में जो दर्द है, उसने मेरे ...

दरख्तों के बीच का साल !!

महानगरों की जिन्दगी को अक्सर लोग कोसते जरुर हैं. मैने भी कभी कोसा था, लेकिन अब जबकि मैं एक आम नगर में रह रहा हूँ तो महानगर की महत्ता समझ में आती है। मैंने अपने महानगर प्रवास में पाया कि वहां का जीवन बहुत तेज होता है। बस आपमें इच्छा और थोड़ी सी शक्ति हो तो आप कम समय में बड़ी जिन्दगी जी लेंगे। मैंने वो जिया भी है मात्र 9 महीने ही रहा, हजारों लोगों से मिला, इतनी बातें सीखी क ी बता भी नहीं सकता। जो भी मिलते थे सभी ज्ञान की पोटली लिए आम इंसान की तरह दिखते थे। बीता हुआ कल सपने में ही सही दूर से आवाज़ जरुर देती है. कुछ ऐसे अंतहीन निशान बन जाते हैं जिन्हें आप मिटा नहीं सकते हैं। याद है वह दिन जब मैं पटना से दिल्ली के लिए चला था,  Bhaskar  भैया से इसी फेसबुक के जरिये बात हुई थी। उन्होंने बड़ी आत्मीयता से कहा था अपना ही घर समझो और आ जाओ. मैं चला आया दिल्ली, उस दिन से वो घर अपना ही हो गया. बीते पन्नो की एक लिखावट में मेरा नाम छपरा से जुड़ गया था, जब आईआईएमसी के लिए मेरे चयन की सूचना मिली तब मैं छपरा govt ttc से बी एड की पढ़ाई करने भी लगा था. बी एड छोड़ कर आईआईएमसी को चुनना कठिन फैसला था. मैंने...