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अप्रैल, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यहां सरकारी स्कूलों के 'शिक्षक' बने हैं 'मैनेजर'

विवेकानंद सिंह सरकारी स्कूलों में मिलनेवाली शिक्षा की गुणवत्ता की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। खास तौर से बिहार के सरकारी स्कूलों में काम करनेवाले शिक्षक आजकल गजब के मैनेजर बन गये हैं। हो सकता है आपको मेरी बातें थोड़ी अजीब लगे, लेकिन यह एक सच्चाई है। पढ़ाने के अलावा अपनी नौकरी बचाने के लिए व कम सैलरी को बेहतर बनाने के लिए उन्हें कई तरह से खुद को और छात्रों के अटेंडेंस को मैनेज करना पड़ता है। उन्हें हर दिन बच्चों के बिना स्कूल आये भी, उनका अटेंडेंस बनना पड़ता है। इसमें हेडमास्टर साहब (प्रधानाध्यापक) से लेकर शिक्षक भी एक-दूसरे की मदद करते नजर आते हैं। हालांकि, वे भ्रष्ट नहीं, बल्कि बस मैनेज कर रहे होते हैं, क्योंकि उनके ऊपर बैठे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी का काम भी सिर्फ अपनी सैलरी से तो नहीं चल पाता है। दरअसल, वे लोग भी मैनेज कर रहे होते हैं। क्योंकि, सबसे खास बात यह है कि बच्चों के पिता खुद ही मैनेज कर रहे होते हैं। वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की चाह में अपने बच्चे को ट्यूशन देते हैं, प्राइवेट टाइप स्कूल में पढ़ने भेजते हैं, लेकिन सरकारी सिंड्रोम से ग्रस्त हो...

कैसे विकसित होगा गांवों का यह देश?

विवेकानंद सिंह, युवा पत्रकार सुबह  से ही अपने गांव की बड़ी याद आ रही है, न जाने क्यों मन बार-बार वहीं जा कर अटक-सा गया है। ईटों को जोड़ कर बनी गांव की सड़क और हरे-भरे फसलों से लहलहाते बहियारों (खेतिहर जमीनों का बड़ा समूह) के नामकरण के बारे में सोच रहा हूं। अक्सर कोई भी गांव कई बहियारों के समूह से घिरे होते हैं, जिनमें किसानों की कृषि योग्य भूमि होती है। मेरा गांव हरचंडी भी कई बहियारों से घिरा है। जिनमें चमटोली, मिलिक धमना, घोघर, बड़की बगीचा, घोराहा, डुमरी तर, बेलासी, हरचौरा, बदारी, कुशाहा, बरहमोतर आदि प्रमुख बहियार हैं। इनके अलावा भी कई छोटे-छोटे बहियार हैं। इन बहियारों का गांव से बड़ा ही करीबी रिश्ता है। सही मायने में गांव की पूरी जीडीपी इन्हीं बहियारों पर टिकी है। इन नामों पर गौर करेंगे तो आप पायेंगे कि उनका रिश्ता किसी समुदाय या फिर समूह से रहा है, जैसे चमटोली गांव से बाहर का वह हिस्सा है, जहां कभी चमार जाति के लोग रहा करते थे। वे वहां से कहां गये, उनका क्या हुआ? इसकी कोई खोज-खबर नहीं है। इसी तरह एक नाम है डुमरी तर, दरअसल इस बहियार में डुमर (गूलर) का एक बड़ा-सा पेड़ है औ...