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स्वन रात का...एक कहानी।


मैं पैदल चला जा रहा था, काला नया फूलपैंट, उजली नई कमीज, पाँव में जूता-मौजा हाथ में घड़ी और जेब में कुछ रूपये, पता नहीं मैं किस मंजील की ओर जा रहा था, मैंने पास में एक राहगीर से पुछा तो पता चला, मैं दुमका(झारखंड) के एक अन्जाने स्थान में हूँ।

मैं एक टेक्सी तलाशने लगा, एक टेक्सी मिली भी लेकिन उसने इतना किराया मांगा कि मैं आगे चलते बना। मैं एक अंजान साथी के साथ राह पर चला जा रहा था मंजिल का पता नहीं, कुछ देर बाद मैंने साथी राहगीर से पुछा भाई ये जी टी रोड कितनी दूर है? उसने जबाव दिया बहुत-बहुत दूर। तभी अगले पल वारिष होने लगी मेरे कपड़े भींग गये। मैं चलते-चलते एक गाँव पहुँचा, वहीं सड़क के किनारे दो लड़कियाँ थी, उनके चेहरे पर एक अपूर्व सौन्दर्य दिख रहा था, उन्हें देखते ही मेरी नजर एक पल के लिए ठहर सी गई थी। तभी एहसास हुआ कि मैं भींग रहा हूँ और आगे बढ़ने लगा।

थोड़ी दूर चलने पर सामने एक केले का बगान था जिसमें रंग-बिरंगे केले लगे थे, उन्हें देख मेरे मुख में अनायास पानी आ गया.... मुझे भुख भी बहुत लगी थी, मैं केला खाने लगा, अभी आठ-दस ही खाए होंगे कि खेत के प्रहरी ने मुझे पकड़ लिया और चोर समझ कर बहुत पीटा। इसके बाद में बेहोश सा हो गया, जब मुझे होश आया तो मैंने अपने आपको एक विस्तृत नदी के पुल पर पाया, नदी का जल इतना स्वच्छ था कि मैं इन्हें देख कर दंग रह गया जी कर रहा था कि मैं जल क्रिड़ा करूँ, पर अपनी हालत को देख रूक गया।

तभी देखा पास में पहाड़ी की उस ओर से कुछ व्यक्ति लौटे आ रहे हैं और वही एक स्वर्गपरी के समान सुन्दर युवती करूण चित्कार कर रही थी, मैं उसके पास गया उसकी व्यथा सुन कर मर्माहित हो गया, एक जमींदार के बेटे ने इस गरीब सुन्दरी से प्यार किया पर जब विवाह की नौवत आई तो उसे विवाह के वेदी से ठुकरा दिया। उस जमींदार को लड़की के नीच जाति और गरीब होने से ऐतराज था, उस जमींदार ने दो सिपाही इन गरीबों की छोटी सी बस्ती को खदेड़ने के लिए भेजा, वह आ ही रहे थे कि मुझे उसी जगह एक बन्दुक मिल गई उसमें दो गोली भरे थे, मैंने उन दोनों सिपाही को गोली मार दिया।

फिर उस लड़की को अपने साथ लेकर मैं जमींदार के घर पहुँचा, जमींदार ने मेरे बारे में पुछा मैंने बताया कि मैं राहगीर हूँ, इनकी करूण चित्कार सुनकर मैं इनके पास आया और जब आपके आदमी इनकी वस्तियों को उजाड़ने गये तो मैंने उनको भी मार दिया, इसकी दर्द भरी कहानी सुनकर आपके पास आया हूँ.... आप ये बताएँ कि जो आज आपका है क्या कल भी वो आपका रहेगा? आज जो आपका जागिर है कल वो आपके बेटे का होगा फिर वो उसके बेटे का ये इसी तरह चलता रहेगा। अगर ये लड़की गरीब है तो इसमें इसका क्या दोष? क्या आप मरणोपरांत भी जमींदार रहेंगे। य़े लड़की हमारी और आपकी तरह एक इंसान है, आपका बेटा और ये दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं। जमींदार को अपनी गलती का एहसास हुआ तथा युवती को गले लगाकर आशीर्वाद दिया और अपने बेटे के साथ शादी कराने का निर्णय लिया।

जमींदार ने मुझसे कहा मैं तुम्हें अपने सिपाहियों की हत्या के जुर्म में सजा देता लेकिन तुमने मेरी आँखें खोली जाओ मैं तुम्हें आजाद करता हूँ। उस युवती ने अश्रु भरे आँखों से मुझे विदा किया, उसे देख मेरा भी रोने को मन कर रहा था कि तभी....
                               जयन्त ने हिलाते हुए कहा कब तक सोना है भाई 8:30 होने को हैं आज एबीपी का प्लेसमेंट भी है जागिये, और मेरा स्वप्न टूटा मैंने अपने आप को बेर सराय के कमरे में पाया, ना काला पैंट ना उजली कमीज, मैं हॉफ पैंट और टी सर्ट में रजाई ओढ़े सोया था। तो ये था मेरे एक रात का स्वप्न जिसमें मैं दिल्ली से कैसे दुमका पहुँच गया मुझे पता भी न चला...... जय हो स्वप्न कथा।

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