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तुम्हारी याद में.......

वह तो राही था मंजिल का                                            
तुमने उसको मान दिया
बहुत बड़ा एहसान किया
वह याद करेगा राहों में
ऐसा तुमने दान दिया
राही है पल भर का साथी
उसे भुला दे पागल मन
राही डाल-डाल का पंछी
वह तो विस्तृत नील गगन
जिसका है ना छोर-ठीकाना
उसको तुम क्या याद करो?
खिला फुल तेरा जीवन है
उसको मत बर्बाद करो
राही था मेहमान तुम्हारा
आदर पाकर चला गया
राही था उस पार का पंछी
डाल छोड़कर चला गया
नीर नहीं छलके नयनों से
टूटे नहीं मधुर मुस्कान
जाता राही मांग रहा है
ऐसा ही तुमसे वरदान..।।

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