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झूम कर झूमा कर विदा हुआ वॉक्स पॉप..2014


दो लफ़्जों की है दिल की कहानी, या है मुहब्बत, या है ज़वानी। ये विवेक क्या गा रहा है लगता है कोई इसे भी य़ाद आ रहा है। ज़ादू कहिए, ऩशा कहिए, पागलपन कहिए या फिर प्यार ही कह लिजिए, उन बीते हुए लम्हों से जो हमें अभी भी याद आ रहा है। 

वॉक्स पॉप 2014 तो चला गया लेकिन छोड़ गया है मीठी-मीठी सी यादें जिन्हें भूलने में व़क्त तो लगेगा। कल हम झूम उठे थे, आईआईएमसी का सारा कारवां झूम उठा था। आज़ पीठ दर्द कर रहा है, पैर में ज़कड़न सी महसूस हो रही है, लेकिन मुखमंडल पर मुस्कान और रात की डी जे नाईट के बोल.. गंगनम स्टाइल और ब्लू होते पानी की धून रह-रहकर कानों में अपना आभास कराती है।

22 फरवरी की शुरूआती कार्यक्रम में हेडलाइन्स टूडे के संपादक राहुल कंवल, तथा इंडिया न्यूज के राना यशवंत आये उन्होंने मीडिया में सफलता और मीडिया के मौज़ूदा हालात पर चर्चा की।

इसके बाद शुरू हुआ काव्य संध्या सह मुशाय़रा, इसमें जेएनयू से आए एक से एक कवि प्रतिभागी थे। कोइ बस्तर की याद में ऩज्म पढ़ रहा था तो कोई प्रेम को सनातन और सास्वत बता रहा था। एक कवि थे जिन्होंने बुद्ध के सार को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। आईआईएमसी की छात्रा दिपाली, ऋतिका और वेलरी ने अपने नृत्य के हूनर से दर्शकों का दिल जीत लिया।

फिर बारी आई बैंड बैटल की और झूमने-झूमाने का दौर यहीं से शुरू हुआ, हिन्दी पत्रकारिता के छात्र कुछ ज्यादा जोश में नज़र आ रहे थे, शायद वो इन पलों को जी भर के जीना चाह रहे थे। आईआईएमसी का मंच सीटी और तालियों की गड़गड़ाहट के आगोश में था।

वॉक्स पॉप 2014 के अंतिम चरण यानि क्लाइमेक्स को शानदार बनाने के लिए चमचमाती रोशनी में डी-जे नाइट का आगाज़ हुआ, फिर तो आज़ के हनी सिंह ने यो-यो क्या किया कि सभी थिरकने लगे। मैं समान्य तौर पर कभी नहीं नाचता हूँ, लेकिन उस रात ऐसी क्या दिवाऩगी छाई मैं खुद को रोक ना सका, और आज मीठा-मीठा दर्द झेल रहा हूँ।
सबसे खास बात जो चर्चा में रही वो थी हिन्दी पत्रकारिता कि लड़कियाँ, उन्हें कमतर आँकने वाले चौंक गये जिस तरह से उन लोगों ने सबके कंधे से कंधा मिलाकर नृत्य किया।

शाय़द सबके दिमाग में एक बात कौंध रही थी कि ये इस तरह की खुशियों भरी आईआईएमसी की आखिरी रात हो।
लेकिन ये वॉक्स-पॉप फिर आयेगा अगले साल बस चेहरे बदलेंगे दिल वही रहेगा, वही प्यार भरा दिल।
 "ना किसी विभाग की सीमा हो, ना भाषा का हो बंधन, जब उत्सव हो कोई तो देखे केवल मन"

मैं इस पूरे उत्सव में एक अच्छे श्रोता और दर्शक के रूप में अपनी भूमिका अदा कर रहा था, लेकिन मेरे उन दोस्तों को जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से आयोज़न को सफल बनाया उन्हें मेरी हार्दिक बधाई और प्यार।। 

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