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वो लड़की..

सागर सी सुरमयी आँखें, खुलती-बंद होती पलकें मेरे दिल में ज्वार-भाटा सी लहरें ले आ रही थी। मंद-मंद मुस्कराती वो मोवाईल पर किसी से बात कर रही थी। मेरी नज़र एकटक उसके चेहरे पर ठहर सी गई थी, मेरे कदम भी रूक गये थे वो लड़की थी ही इतनी खूबसूरत।

सर से पांव तक ऐसी रचना मानो कोई मंदिर आँखों के सामने हो जिसे देखते ही मन में सुकून का भाव आ जाए। मन किया कि बोलूँ की तुम बहुत खूबसूरत हो लेकिन वो फोन पर बात कर रही थी तो मैं आगे उसके सामने से होते हुए अपने क्लास की ओर निकल गया।

उस लड़की को कॉलेज में पहली बार देखा था आज, मन में कई तरह की बातें उठ रही थी उसकी सुन्दरता ने मुझे उसका दिवाना बना दिया था। क्लास में मेरे दोस्त समीर ने मुझसे पुछा कि तुमने एसाइनमेंट किया है क्या? मुझे लगा कि वो कुछ पुछ रहा है लेकिन क्या इसका कोई होश ना था। समीर ने हाथ में पेन की नोंक चुभोते हुए कहा क्या हो गया तुम्हें? कहाँ खोये हो? मुझे उसके नोंक चुभोने के दर्द का भी एहसास नहीं था, मेरी आँखों के सामने बस वो लड़की थी। समीर ने झुंझलाकर मुझे जोर से हिलाते हुए कहा तुझे किसी से प्यार तो नहीं हो गया, मेरे मुख से निकल पड़ा हाँ दोस्त मुझे प्यार हो गया है।

तभी क्लास के दरवाजे पर मेरी नज़र गई तो वो लड़की मेरे ही क्लास में आ रही थी, मैं चौंक गया अरे ये तो मेरे साथ ही पढ़ने वाली है। मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हो गया, मुझे लगा कि भगवान ने खुश होकर मेरे लिए ही मेरे सपनों की एक परी भेजी है।

लेकिन यह मेरा भ्रम मात्र था, मेरा दोस्त समीर बहुत ही हेन्डसम था। उस पर क्लास की सारी लड़कीयाँ मरती थी लेकिन वो उनको ज्यादा भाव नहीं देता था, मगर समीर भी उस लड़की को क्लास के अंदर आते देख बोला क्या लड़की है? देखते ही किसी को भी प्यार हो जाए। और वही हुआ जो अक्सर फिल्मों में होता है,, वो लड़की ना तो कभी मुझे प्यार करने को तैयार हुई ना ही समीर को बस हम दोनों की दिवानगी की कद्र के एवज में शुक्रिया के चंद लफ्ज़ बोल जाती और कहती की तुम मेरे एक अच्छे दोस्त हो।
"
फिर डर से कभी "आइ लव यू" बोला नहीं हमेशा संशय में रहा वो रिजेक्ट कर देगी तों मै बरदास्त नहीं कर पाउँगा। तब से लेकर अब तक एकतरफा मुहब्बत की जठराअग्नी में तप रहा हूँ। वो जो एक दोस्त था वो मेरी नज़रों को खटकने लगा था और मैं उसकी नज़रों को और कहानी ऐसे ही अनवरत चलती रही। हम एक प्यार को तरसते रहे। अब तो कोई अच्छा लग भी जाता है तो किसी को बोलता नहीं हूँ,, लेकिन "वो लड़की" आज भी बहुत याद आती है। बस ऐसे ही न जाने उसमें कुछ तो अलग बात थी,,


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