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दोस्त का फोन और दिल की बातें

इश्क, प्यार, प्रेम, मोहब्बत, लव और भी जितने इसके पर्यायवाची शब्द हैं, इन्हें सुनने के साथ खुद के जवां होने का एक एहसास यकायक दिल को छू जाता है।
हुआ यूँ कि आज शाम को स्कूल के समय के एक दोस्त से बात हुई फोन पर, उसे नहीं मालूम था कि मैं फिलहाल एक मीडिया हाउस में काम कर रहा हूँ।
उसने पहला सवाल किया, और बे पढ़ाई कैसी चल रही है? लगे हाथ दूसरा सवाल वो तेरा नेट का क्या हुआ? और फिर तीसरा, वो जिससे तुम्हें प्रेम हुआ था वो भाव देती है कि पहले की तरह घंटा ही बजा रहे हो?
मैं खामोश, जैसे शॉटगन साहब ने मुझे भी जोर से खामोश कह दिया हो।
फिर बड़ी सहजता और थोड़ी शालीनता के साथ रिप्लाई दिया, अबे यार कानपुर में हूँ, जागरण(आई नेक्स्ट) में काम कर रहा हूँ। (भागलपुर में रहने वालों को आई नेक्स्ट नहीं मालूम वो जागरण ही समझते हैं).
उसके बाद उसकी ओर से मानों हमला सा हुआ, कानपुर में तुम किसका जागरण करने लगे बे।
सत्यानाश हो तेरा, हम सोचे कि तुम दिल्ली गए हो तो आईएएस और नेट की तैयारी में लगे होगे। (उसका फेसबुक पर अकाउंट नहीं है)
फिर वो बोला, हम सोच रहे थे कि दिल्ली आयेंगे तुम्हारे पास। तुम तो धोखा दे दिए।
मैं कुछ बोल पाता, उससे आगे-आगे जनाब चले जा रहे थे।
फिर बोलने लगा, क्या काम करते हो? हमने जवाब दिया कि सब-एडिटर हूँ न्यूज़ पेपर में। वो बोला, अबे मैंने पूछा काम क्या करते हो?
मैं फिर कुछ पल सन्नाटे में, फिर "प्रमोद जोशी सर" की बताई एक बात याद आई तो उससे कहा कि "खबर को छपने लायक बनाता हूँ"।
उसने कहा ओह तो खबर लिखते हो।
मैं कुछ पूछता, उससे पहले अपनी कहानी बताने लगा।
बोला, भाई मुझे तो मेट्रिक से अब तक हर क्लास में अलग-अलग लड़की से प्रेम हुआ। फिलहाल इकोनोमिक्स से पीजी कर रहा हूँ, तो अभी अपनी प्रेम कथा यहाँ चल रही है। मैंने कहा कि पढ़ते हो कि हर क्लास में बस नौटंकी करते हो।
फिर लगा वो मुझे लताड़ने, बोलने लगा ये स्कूल, कॉलेज न होते तो लड़कियों को तो फ्रिज में बंद करके रखते उसके माँ-बाप, क्लास में साथ पढ़ने वाली लड़की को तो कभी तुम टोक न सके, तुम क्या समझोगे मेरा स्टाइल। क्लास के हीरो हैं गुरु।
हमने कहा बहुत हुआ, पढ़ो-लिखो कुछ काम देगा। उसने कहा, गुरु तुम प्रेम करो तुम्हें काम देगा।
फिर झट से बोल पड़ा, अबे तुम्हारा नंबर तो दिल्ली वाला है झूठ बोलते हो, रोमिंग में इतनी बात, तुम्हारे मोबाइल में बैलेंस तो रहता नहीं है।
हमने कहा रोमिंग पैक है भाई।
उसने फ़ोन रखने से पहले बोला, गुरु हमरी बात मान और दिल्ली लौट जाओ और, प्यार-मोहब्बत करना सीख लो इंसानों से, ये जनता का क्रिटिक है सबसे बेस्ट। फिर कभी आता हूँ तुमसे मिलने दिल्ली... बाय।

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