आज मैं सोच रहा हूँ कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मैं कितना खुश हूँ, कितना आजाद हूँ, धीरे-धीरे ही सही गुलामी की सारी बेड़ियाँ टूटती जा रही हैं। रूढ़ीवादी सोच में बदलाव की वयार जारी है, भले ही वक्त ज्यादा लग गया हो, लेकिन इतनी प्राकृतिक विविधताओं, भाषाओं, संस्कृतियों, सभ्यताओं के अतंर के बाद भी हम कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक के सभी लोगों से उतनी ही मुहब्बत करते हैं जितना हम अपने भाई-बहन, दोस्त, पड़ोसी, रिस्तेदार से करते हैं।
हमारे पुरखों ने हमारे भारत को आज के ही ऐतिहासिक दिन 26 जनवरी 1950 को एक ऐसा धर्मग्रंथ दिया जिसका नाम है "संविधान" और एक धर्म की स्थापना हुई जिसका नाम है "गणतंत्र" तब से लेकर आज तक हम भारतीय गणतंत्र की पुजा/इबादत करते हैं। मानवता का ज्ञान, मानव जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होती है। हमारे संविधान में वो शक्ति है जिसने हमारे बन्धुत्व, हमारे प्रीत को बनाए रखने में हमारी मदद की है। ऐसा कौन भारतीय नहीं होगा जिसके हृदय में देशप्रेम की गंगा ना बह रही हो,, महाकवि मैथिलीशरण गुप्त ने कहा है......
"जो भरा नहीं है भावों से,
जिसमें बहती रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
संघर्षों से मिली स्वतंत्रता के बाद भी बड़े शिद्दत से सींचा था इस ब़ाग को माल़ीयों ने कि कल जो फूल खिलेंगे, उससे सारे चमन में खूशबू ही खूशबू होंगी। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे आजाद़ी के बाद भी हमारे अधिकार गुलाम थे। बाबा साहब भीम राव अम्बेदकर, डा. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, जैसे कई महापुरूषों के अथक मेहनत की बदौलत हमें हमारा अधिकार मिला। हमारे संविधान में कई अन्य देशों के संविधान से बातें ली गई हैं
- जिसमें ब्रिटिश संविधान से.......................................................................................
- सरकार का संसदीय स्वरूप
- एकल नागरिकता के विचार
- कानून के शासन का विचार
- अध्यक्ष की संस्था और उसकी भूमिका
- कानून निर्माण प्रक्रिया
- कानून प्रक्रिया यू/ए 13 के द्वारा स्थापित
- संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से...........................................................................
- सरकार के संघीय ढांचे, मौलिक अधिकारों का चार्टर
- न्यायिक समीक्षा की शक्ति एवं न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- सशस्त्र बलों यू/ए 52 के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति
- कानून यू/ए 13 के कारण प्रक्रिया
- फ्रांसीसी संविधान से.....................................................................................................
- स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के आदर्शों को
- आयरिश संविधान से....................................................................................................
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतो की संवैधानिक प्रतिज्ञा
- कनाडा के संविधान से...................................................................................................
- एक मजबूत केन्द्र सरकार के साथ संघीय प्रणाली
- अवशिष्ट शक्तियों के विचार
- आस्ट्रेलियाई संविधान से................................................................................................
- देश के भीतर और राज्यों के बीच व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता,
- समान्य संघीय अधिकार क्षेत्र के बाहर के मामलों पर संधियों को लागू करने के लिए, कानून बनाने के लिए राष्ट्रिय विधायिका के अधिकार
- जापानी संविधान से.........................................................................................................
- मौलिक कर्तव्यों यू/ए 51 ए
- वीमर रिपब्लिक संविधान से..............................................................................................
- आपातकालीन प्रावधान यू/ए 356, इस प्रकार भारत के संविधान की अवधारणा तैयार होने के बाद भारत का अपना संविधान बनकर आया। बिना भेदभाव के जिन्दगी के लिए कागजी दस्तावेज़ बनकर तैयार हुआ, हमें हमारी रोटी मिली, लेकिन वही रोटी अक्सर आज भी उदास रहती है, कि इन साढ़े छ: दशक में भारत और भारत के प्रत्येक व्यक्ति का पेट भर पाने में भारत भूमि नाकाम रही है। पिछले साल एक खाद्य सुरक्षा बिल आया है, देखते हैं कि आगे क्या सबको रोटी-कपड़ा-माकान मिल पाता है, या हर चुनाव के समय इसी तरह के लोक लुभावने बिल लाकर लोकतंत्र में भीड़ को बेबकूफ बनाने की प्रक्रिया जारी रहती है।
इस 65वें गणतंत्र दिवस के शुभ मौके पर हमारी शुभकामनाएँ देश के हित, तरक्की और शांति की उम्मीद लिए, बस यहाँ समस्त देशवासी की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने पुरखों के बलिदान, और अपने देश के सुन्दर भविष्य के लिए अपने संविधान के प्रति आदर रखते हुए, उसमें किए गये उल्लेखों का पालन करें। फिर हमारे इस प्यारे चक्रवर्ती भारत को विश्व हृदय सम्राट बनने से कोई भी ताकत नहीं रोक पाएगा। जय हिंद
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें