सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शेर की महफिल

Dhruv Gupt  जी के फ़ेसबुक वाल से साभारः- कुछ कालजयी शेर और उनके रचनाकार ! कभी कभी कुछ शेर इस क़दर अवाम की जुबान पर चढ़ जाते हैं कि कहावतों और लोकोक्तियों की तरह हमारी बोलचाल और ज़िंदगी का हिस्सा बन जाते हैं । शेर हमारी याददाश्त में रह जाते हैं, लेकिन उनके रचनाकार हमारी स्मृतियों से ओझल हो जाते हैं। आज आपके लिए हाज़िर हैं ऐसे ही कुछ कालजयी शेर, उनके रचनाकारों के नाम के साथ। ज़िंदगी जिन्दादिली का नाम है मुर्दादिल क्या खाक़ जिया करते हैं - शेख इमाम बख्श 'नासिख' अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जायेंगे मर के भी चैन न पाया तो किधर जायेंगे - शेख़ मुहम्मद इब्राहिम जौक जनाज़ा रोककर मेरा वो इस अंदाज़ से बोले गली हमने कहा था तुम तो दुनिया छोड़ जाते हो - सफ़ी लखनवी ग़ज़ल उसने छेड़ी मुझे साज़ देना ज़रा उम्रे रफ़्ता को आवाज़ देना - सफ़ी लखनवी बड़े शौक़ से सुन रहा था ज़माना हमीं सो गए दास्तां कहते कहते - साक़िब लखनवी न आंखों में आंसू न होंठों पे हाए मगर एक मुद्दत हुई मुस्कुराए -बहजाद लखनवी रूठने वालों से इतना कोई जाकर पूछे ख़ुद ही रूठे रहे या हमसे मनाया न गया -मुईन एहसन 'जज़...

बदलाव की परिकल्पना

कुछ दिनों बाद देश को नये-नये वजीर मिलेंगे और जनता फिर उनकी ओर आशा भरी निगाहों से देखेगी। आज बदलाव की इच्छा पूरे देश की आवाज़ बनती जा रही है, लेकिन सिर्फ सत्ता बदलाव से मौजूदा हालात में बदलाव आ जाएगा यह कहाँ स्पष्ट है? यह देश स्वयं में समस्या का एक पिटारा है, जिस ओर नजर दौड़ाओ मुद्दे और चिंताएँ ही दिखती हैं। जनसंख्या के हिसाब से संसाधन का आभाव इस देश में बेरोजगारी को बढ़ा रहा है, हर साल युवाओं की फौज तैयार हो रही है जिसे नौकरी चाहिए, तरक्की के लिए समुचित अवसर चाहिए। हमारे देश में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कृषि क्षेत्र और किसानों को आर्थिक मदद, उचित वैज्ञानिक प्रशिक्षण एवं सुविधाओं की आवश्यक्ता है, लेकिन जिस प्रकार से देश की कृषि को हासिए पर धकेला जा रहा है, यह देश के लिए एक समस्या बनती जा रही है। खेती को आज के समय में सबसे नीच पेशा के रूप में देखा जाता है। एक किसान कैसी जिन्दगी जीने के लिए मजबूर है? इसकी खबरें भी इक्का-दुक्का समाचार पत्रों तक ही सीमित है। देश की ऐसी आवादी जो देश का पेट भरती है, उसकी जिन्दगी पर कोई चर्चा तक नहीं करना चाहता है। आखिर क्यों देश की मीडिया भी ...

मेरा वोट मेरी ताकत..

कई दिनों तक फ़ेसबुक रोया, ब्लॉगर रहा उदास कई दिनों तक लेपटॉप सोया, जाकर उनके पास नये विचार आये हैं, मेरे अंदर कई दिनों के बाद, चमक उठी है मेरी आँखें, कई दिनों के बाद। । बाबा नागार्जुन की "अकाल के बाद" कविता के साथ जो छेड़छाड़ मैंने की है उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ, लेकिन कई दिनों के अकालग्रस्त जीवन के बाद आज पुनः कुछ लिखने का मन कर गया है। देश में लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं, ऐसे में बड़े-बड़े विद्वान, पत्रकार, नेता, समाजशास्त्री अपने-अपने अनुसार से देश के बनते-बिगड़ते राजनीतिक हालात पर अपनी टिप्पणी, विचार दे रहे हैं। हर बार की तरह जनता अपने दुख-दर्द से ज्यादा उन विचारों को तरजीह देगी ऐसी उम्मीद की जाती है। अब जनता क्या करेगी यह तो 16 मई को स्पष्ट हो जाएगा। मैं जो सोचता हूँ सारे देश की जनता वही सोचे यह संभव नहीं है क्योंकि स्थान, काल और दशा के हिसाब से समस्याएँ अलग-अलग है। अब यहाँ आईआईएमसी में ही ले लिजिए यहाँ के छात्रों की समस्या अलग-अलग है लेकिन सभी का लक्ष्य एक है, वो है "सफल पत्रकार" बनना। चुनाव परिणाम को लेकर हम दोस्तों के बीच बड़ी-बड़ी...

प्यार का मतलब पाना नहीं होता,, जो सच है वो कभी अफसाना नहीं होता

कहानी कुछ अनसुलझी है, बस बात ये है कि हम सुलझाने के क्रम में और उलझ गये हैं। जीवन के एक ऐसे दौर से गुजरना, जहाँ से हमारे निर्माण की प्रक्रिया चल रही होती है, वहाँ हम सपने बुनते हैं कुछ कोरे, कुछ रंग भरे और फिर उन्हीं में अपनी खुशी तलाशने लगते हैं।  कुछ दिनों से हमारे एक दोस्त के जीवन में यकायक उठा-पटक का दौर शुरु हो गया, जहाँ उसे सबसे ज्यादा खुशी मिलती थी वहीं से उसे सबसे ज्यादा निराशा हाथ आने लगी, वो इतना परेशान हुआ की उसकी तबियत तक बिगड़ गई, सच्चाई का तो मुझे पता नहीं लेकिन कहानी का चित्रण हो तो एक अच्छी फिल्म हो सकती है।   प्यार तो कई बार मुझे अबूझ पहेली की तरह लगती है, लाख बार ना चाह लो लेकिन जिससे होना है, वो होकर ही रहता है, कभी किसी की सादगी भा जाती है, तो कभी किसी अदाएँ लुभा जाती हैं। हाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्यार का मिलन हो ही जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है।  चूंकि भारत का समाजिक ताना-बाना काफी उलझा हुआ है। हम महापुरूषों के जन्मदिनों पर बड़ी-बड़ी बातें तो कर लेते हैं लेकिन जब अपनी बेटी की शादी दूसरे जात के लड़के से करने की बात सामने आती है त...