भारत को रियो ओलिंपिक से पदकों की काफी उम्मीदें हैं, सिर्फ पदक ही नहीं कई खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से यह उम्मीद जगायी है कि सोने के तमगे भी हमारे हिस्से आ सकते हैं. 5 अगस्त से 21 अगस्त तक चलनेवाले इस ओलिंपिक महाकुंभ में शामिल होने जा रहे 121 भारतीय खिलाड़ियों पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. विवेकानंद सिंह की रिपोर्ट.
इस ओलिंपिक में भारत के कुछ ऐसे खास चेहरे भी हैं, जिन पर पूरी दुनिया की नजर है. अब तक के इनके प्रदर्शन से भारत की उम्मीदें बंधी हैं. पदकों से भारत की झोली भर कर भारत के मिशन ओलिंपिक को पूरा करने का पूरा दारोमदार इन खिलाड़ियों के कंधे पर है. ब्राजील के शहर रियो डि जेनेरो में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में दो सौ देशों से करीब दस हजार से ज्यादा एथलीट हिस्सा ले रहे हैं. लंदन ओलंपिक 2012 में जहां भारत की ओर से 83 एथलीट ने हिस्सा लिया था, वहीं इस बार 121 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इनमें एथलेटिक्स में 38, हॉकी में 32, निशानेबाजी में 12, कुश्ती में 7, बैडमिंटन में 7, तीरंदाजी, टेबल टेनिस और टेनिस में 4-4 खिलाड़ी अपनी चुनौती रखेंगे.
कुश्ती के दबंग हैं योगेश्वर
1. योगेश्वर दत्त, कुश्ती
उम्र- 33 वर्ष
मुकाबला- पुरुष फ्रीस्टाइल 65 किलो वर्ग (21 अगस्त)
उपलब्धियां- 2012 के लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक, कॉमनवेल्थ गेम्स में 2 स्वर्ण पदक, एशियन गेम्स में 1 स्वर्ण पदक विजेता
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रियो ओलिंपिक जा रही भारतीय कुश्ती (रेसलर्स) की टीम को लीड कर रहे 33 वर्ष के योगेश्वर 2012 के ओलिंपिक में ब्रॉन्ज यानी कांस्य पदक जीत चुके हैं. यह चौथा मौका है, जब योगेश्वर ओलिंपिक खेलने जा रहे हैं. योगेश्वर दत्त से इस बार कुश्ती में गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद है. गोल्ड के लिए उनकी टक्कर चीन के कताइ यिरानबिएक के साथ होनी है. 2 नवंबर, 1982 को हरियाणा के सोनीपत जिले में जन्मे योगेश्वर ने आठ वर्ष की उम्र से ही कुश्ती करना शुरू कर दिया था. उन्होंने हरियाणा के जाने-माने पहलवान बलराज से प्रेरणा ली, जो कि उन्हीं के गांव के रहनेवाले थे. योगेश्वर ने कुश्ती की दांव-पेंच कोच राल्फ से सीखी. अपनी ताकत और कुश्ती के दांव-पेंच के दम पर योगेश्वर ने विदेशों में भारतीय कुश्ती को नया आयाम दिया है. इन्हें कुश्ती के दबंग के नाम से भी जाना जाता है.
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की प्वाइंट- योगेश्वर की असली ताकत दूध-दही और उनकी मेहनत में छुपी है. वे रोज दो लीटर दूध और एक किलो दही डाइट में लेते हैं. सुबह 6 बजे से रोज वर्क आउट करना उनकी लाइफ स्टाइल का अहम हिस्सा है.
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कुश्ती में टक्कर - इस वर्ग में शामिल 20 रेसलर्स में से योगेश्वर को सबसे कड़ी टक्कर चीन के कताइ यिरानबिएक से मिलने की उम्मीद है.
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सोने पर निशाने की उम्मीद
2. अभिनव बिंद्रा, निशानेबाजी
उम्र- 33 वर्ष
मुकाबला- 10 मीटर एयर राइफल (8 अगस्त)
उपलब्धियां- 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में स्वर्ण पदक, 7 राष्ट्रमंडल पदक, 4 स्वर्ण, तीन एशियाई खेल पदक
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भारत के एकमात्र व्यक्तिगत ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता व दिग्गज निशानेबाज अभिनव बिंद्रा का यह पांचवा और आखिरी ओलिंपिक होगा. 5 अगस्त को होनेवाले ओलिंपिक उद्घाटन समारोह के ध्वजवाहक की जिम्मेवारी भी अभिनव निभायेंगे. इसके अलावा बिंद्रा रियो ओलिंपिक में भारतीय दल के सद्भावना दूत भी हैं. अर्जुन अवार्ड, राजीव गाधी खेल रत्न, पद्मभूषण जैसे राष्ट्रीय सम्मान पा चुके अभिनव बिंद्रा का जन्म 28 सितंबर, 1982 को देहरादून, उत्तराखंड के पंजाबी परिवार में हुआ था. 2008 ओलिंपिक में सोना जीतनेवाले अभिनव की बंदूक 2012 में दगा दे गयी थी, लेकिन इस उन्हें काफी उम्मीद है कि सोने पर निशाना लगाने में कामयाब रहेंगे. अमेरिका की कोलारोडो यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट अभिनव बिंद्रा के घर के पीछे एक शानदार इंडोर रेंज है, जिसे वह अपनी प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल करते हैं. बचपन में उन्हें कोई खेल पसंद नहीं था, लेकिन जब उनकी बड़ी बहन ने एक शूटिंग करने को प्रेरित किया, उसके बाद से अभिनव अचूक निशाना लगाने लगे.
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की प्वाइंट- अभिनव घर के पीछे बगीचे में बने शूटिंग रेंज में रोज घंटों तक अकेले निशानेबाजी की प्रैक्टिस करते हैं. बड़े रईस परिवार से आनेवाले अभिनव पार्टी और अन्य उत्सवों में शामिल होने से भी कतराते हैं.
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निशाने में टक्कर- रोमानिया और इटली के खिलाड़ी के साथ यूएस के खिलाड़ी भी इस स्पर्धा में दमखम के साथ मैदान में हैं, लेकिन विशेष नजर एलिन मोलदोवेनु पर रहेगी
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बैडमिंटन स्मैश का दम
3. साइना नेहवाल, बैडमिंटन
उम्र- 26 वर्ष
मुकाबला - व्यक्तिगत स्पर्धा (19 अगस्त)
उपलब्धियां- 2015 में विश्व की नंबर एक खिलाड़ी, 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक तथा 2012 लंदन ओलिंपिक में कांस्य
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2012 के लंदन ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतनेवाली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल से भी रियो ओलिंपिक में बड़ी उम्मीद है. विश्व के नंबर एक बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का गौरव प्राप्त कर चुकी साइना फिलहाल बीडब्लूएफ की विश्व रैंकिंग में छठे नंबर पर है. साइना अपने पिछले मुकाबलों में बेहतरीन फॉर्म में नजर आ रही हैं. हैदराबाद की रहनेवाली 26 वर्षीय साइना का जन्म 17 मार्च, 1990 को हिसार, हरियाणा में हुआ था. बैंडमिंटन में साइना के नाम अनेकों उपलब्धियां हैं. साइना को अगर रियो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करनी है, तो उन्हें चीनी ताइपे बैंडमिंटन प्लेयर ताइ-त्जू-विंग को बैडमिंटन कोर्ट में मात देना ही होगा. इस ओलिंपिक के लिए साइना दिन-रात एक कर मेहनत कर रही हैं. दो बार फ्रेंच ओपेन विजेता रहे विमल कुमार उन्हें बेंगलुरु में स्पेशल ट्रेंनिंग दे रहे थे. अब देखना दिलचस्प होगा कि साइना के स्मैश का चीनी खिलाड़ी किस तरह से जवाब देती हैं.
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की प्वाइंट- माता-पिता दोनों के ही बैडमिंटन खिलाड़ी होने के कारण साइना नेहवाल की रुचि बचपन से ही बैडमिंटन में थी. साइना को 2009 में अर्जुन पुरस्कार, 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न व पद्म श्री तथा 2016 पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है.
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कड़ी टक्कर- ताइ त्जू-विंग से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद
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निशानेबाजी में उम्मीद का दीपक
4. दीपिका कुमारी, तीरंदाजी
उम्र- 22 वर्ष
मुकाबला- रिकर्व, व्यक्तिगत और टीम प्रतियोगिता (7 अगस्त)
उपलब्धियां- दो बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल
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देश की रिकर्व तीरंदाज दीपिका कुमारी को हमेशा उनके स्वर्णिम प्रदर्शनों के लिए याद किया जायेगा. राष्ट्रमंडल खेल 2010 में दीपिका ने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा के स्वर्ण जीते, बल्कि दीपिका ने महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण दिलाया. तीरंदाजी में उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 2006 में हुई, जब उन्होंने टाटा तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन किया. दीपिका कुमारी का जन्म 13 जून, 1994 में झारखंड राज्य की राजधानी रांची में हुआ था. 15वीं रैंकिंग रियो ओलंपिक 2016 में हिस्सा ले रहीं युवा तीरंदाज दीपिका से भारत की बहुत उम्मीदें हैं. टीम रिकर्व प्रतियोगिता में उनके साथ बोंबायला देवी और लक्ष्मीरानी मांझी होंगी.
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की प्वाइंट्स- एक ऑटोरिक्शा चालक और नर्स की बेटी, जो रांची से करीब 10 किलोमीटर दूर रातू चट्टी नाम के एक गांव की झोंपड़ी में पली-बढ़ी, दीपिका बचपन में हाथ से बने तीर और धनुष से आम तोड़ा करती थीं. उनके इस शगल ने आज उन्हें दुनिया की नंबर एक तीरंदाजों में शामिल कर दिया है. अपनी एकाग्रता के लिए दीपिका ध्यान और योग का नियमित अभ्यास करती है.
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कड़ी टक्कर- तीरंदाजी में अफ्रीकी देश के खिलाड़ियों से टक्कर की उम्मीद है, खास तौर से दक्षिण अफ्रीका काफी मजबूत है.
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संतुलन की परीक्षा
5. दीपा करमाकर, जिम्नास्टिक
उम्र- 22 वर्ष
मुकाबला- विमेंस जिमनास्टिक्स (7 अगस्त)
उपलब्धियां- 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक, 2015 के एशियन जिमनास्टिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक
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भारत की अकेली महिला जिम्नास्ट, जिसने रियो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाइ किया है. त्रिपुरा की रहनेवाली दीपा के पिता दुलाल करमाकर ने छह साल की उम्र में उन्हें जिमनास्टिक की प्रैक्टिस देनी शुरू कर दी थी. दीपा ने जब जिमनास्टिक शुरू किया, तो उनके पांव फ्लैट थे. उनके कोच विशेश्वर नंदी के मुताबिक प्लैट पांव होना जिमनास्ट के लिए अच्छा नहीं होता. इससे जंप करने की क्षमता पर असर पड़ता है. दीपा के पिता स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में कोच थे और वे बेटी को जिमनास्ट बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने दीपा की इच्छा न होने के बावजूद उन्हें जिमनास्ट के लिए प्रेरित किया. दीपा ने 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था और वे राष्ट्रमंडल खेलों में मेडल जीतनेवाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बन गयी थीं. दीपा पिछले साल नवंबर में वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में भी खेली थी. इस चैंपियनशिप के फाइनल तक पहुंचनेवाली वे पहली भारतीय महिला जिमनास्ट हैं. 9 अगस्त, 1993 में जन्मी दीपा की प्रादुनोवा वॉल्ट (छलांग) उन्हें काफी अलग बनाती है. इस खतरनाक छलांग का नाम दिग्गज रूसी जिम्नास्ट एलेना प्रोदुनोवा के नाम पर रखा गया था.
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की प्वाइंट- दीपा के रियो ओलिंपिक क्वालिफाइ करना ही भारत के लिए गौरवशाली पल है, क्योंकि 52 वर्ष बाद कोई भारतीय जिम्नास्ट ओलिंपिक में उतरेगा. आजादी के बाद से भारत की ओर से 11 पुरुष जिम्नास्ट ने ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया था, वह भी 1952 में दो, 1956 में तीन और 1964 में 6, पर तब से कोई भी भारतीय ऐसा नहीं कर पाया है.
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कड़ी टक्कर - यूएस, चीन और रूस की जिम्नास्ट को मात देना बड़ी चुनौती भरा काम होगा.
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ओलिंपिक में खास आकर्षण
05 अगस्त को ओलिंपिक का उद्घाटन समारोह एक खास आकर्षण की तरह होगा, जिसमें सभी 206 देशों के प्रतिभागी शामिल होंगे. 7 अगस्त को माइकल फ्लेप्स तैराकी में हाथ अजमायेंगे. 8 अगस्त भारत के लिए खास होगा, क्योंकि अभिनव बिंद्रा मुकाबले में होंगे. 9 अगस्त को गगन नारंग भारत की ओर से मोर्चा संभालेंगे. 16 अगस्त को भी भारत के लिए खास हो सकता है, एथलेटिक्स में सीमा एंतिल इतिहास रच सकती हैं. 17 अगस्त को महिलाओं की कुश्ती, तो 18 अगस्त को जमैका के उसैन बोल्ट 200 मीटर की रेस लगायेंगे. वहीं भारतीय हॉकी टीम पर नजर होगी. 19 अगस्त को साइना नेहवाल पर नजर रहेगी. वहीं 20 अगस्त देखना होगा कि मुक्केबाज शिव थापा क्या कमाल दिखा पाते हैं. 21 अगस्त को योगेश्वर दत्त के मुकाबले के साथ पता चल जायेगा कि भारत की झोली में कितने पदक आये.
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ओलिंपिक में अब तक भारत
भारत को अब तक ओलिंपिक खेलों में 26 मेडल मिले हैं. 11 पदक पुरुष हॉकी टीम ने जीते हैं, जिसमें आठ स्वर्ण पदक शामिल हैं. ओलिंपिक खेलों में लगातार दो पदक जीतनेवाले सुशील कुमार एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं. लंदन ओलिंपिक 2012 में भारत ने दो रजत और चार कांस्य सहित छह पदक अपने नाम किये थे. दो रजत पदक वर्ष 1900 के पेरिस ओलिंपिक में एंग्लो-इंडियन नॉर्मन प्रिचार्ड ने एथलेटिक्स में जीते थे. हालांकि, ओलिंपिक में भारत की शुरुआत 1920 के एंटवर्प ओलिंपिक से मानी जाती है, जिसमें चार भारतीय खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में केडी जाधव ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक हासिल किया था. स्वतंत्र भारत में व्यक्तिगत तौर पर ओलंपिक में पदक जीतनेवाले जाधव पहले खिलाड़ी थे. भारत की ओर से केवल तीन महिलाओं ने ही ओलिंपिक में पदक जीता है. इनमें कर्णम मल्लेश्वरी, बैंडमिटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम शामिल हैं.
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