होली खेले पत्रकार , रंग बनी राज़नीत, आईआईएमसी था महल बना , सबने गाया प्रेम गीत।। हैप्पी होली, हैप्पी होली, हैप्पी होली, हैप्पी होली, हैप्पी होली, हैप्पी होली, हैप्पी होली, रोलीमय संध्या उषा की चोली है तुम अपने रंग में रंग लो तो होली है। बच्चन जी की पंक्तियों की तरह अपने रंग में रंगी हुई थी इस बार के आईआईएमसी की होली। हिन्दी पत्रकारिता के छात्रों में होली का खुमार तो, होली के दो दिन पहले से चढ़ चुका था, गुलाल गालों पर मले ज़ा रहे थे अगले पल में ऐसा एहसास हो रहा था मानों प्रिज्म से निकलकर सतरंगी इन्द्रधनुष सबके चेहरे पर छप गया हो। फूलों से खिले-खिले चेहरे चारों तरफ रंगीन खुशबू बिखेर रहे हों। होली के खुमार में दो दिन पहले शुरू हो गये भाई गुलाल से ज़ब चैन ना मिला तो कुछ दोस्तों को बदमाशी सूझी और एक-एक को पकड़ कर किचड़ में पटकना शुरू कर दिया। अब हम ज़ो कहना चाह रहे हैं वो तो अगली तस्वीर से स्पष्ट हो ज़ाऐगी... इसे तो मैं दोस्तों का प्यार ही कह पाऊँगा। देखते-देखते होलिका दहन की ...